ईसीजी (ECG) किसे कहते हैं?–What is an ECG in Hindi.
ECG एक प्रकार का टेस्ट होता है,ECG पूरा नाम इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम हैं, अंग्रेजी में ECG का full form होता है:- (Electrocardiogram) या फिर इसे ईकेजी (EKG)भी कहते हैं, यह एक प्रकार का साधारण और दर्द रहित टेस्ट होता है जो हमारे ह्रदय के इलेक्ट्रिकल गतिविधियां को मापता है| हमारे ह्रदय का स्पंदन एक इलेक्ट्रिक सिग्नल के कारण चलती है यदि हमारे ह्रदय किसी भी प्रकार से प्रभावित होती है,या ह्रदय किसी प्रकार के रोगों से पीड़ित होता है जिससे हमारे हृदय की इलेक्ट्रिक गतिविधियां प्रभावित होती है ,तो डॉक्टर उसे ईसीजी टेस्ट कराने सलाह देते हैं, आज हैं ऐसे जी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने वाले हैं|
ECG टेस्ट क्या होता है? What is ECG Test.
ईसीजी टेस्ट एक प्रकार का इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राफी विधि द्वारा एक इलेक्ट्रोड द्वारा हमारे त्वचा में ह्रदय की स्पंदन गति और इलेक्ट्रिक गतिविधियां को मापती है| यह विधि एक बहुत ही सामान्य परिस्थितियों में किया जाने वाला एक प्रकार का कार्डियोलॉजी विधि है, इसमें हृदय से जुड़ी सभी प्रकार की समस्याओं की जांच किया जाता और उसके सभी प्रकार के परेशानियों का पता लगाया जाता है|
ECG टेस्ट कब कराया जाता है वह कौन से कारण है:-
सांस लेने में परेशानी
सीने में दर्द
ह्रदय की स्पंदन गति तेज हो जाना
कमजोरी या थकान महसूस होना
हार्ड अटैक की स्थिति होना
ईसीजी टेस्ट के माध्यम से चिकित्सक को इस बात की जानकारी हो जाती है कि मरीज को क्या परेशानी है ईसीजी टेस्ट आमतौर पर सभी मरीजों के लिए योग्य हैं इसमें किसी भी प्रकार की कोई नुकसान नहीं यह एक प्रकार का होने वाली जांच ह्रदय के सभी जांचों के लिए किया जाता है, ईसीजी टेस्ट में आमतौर पर एक ₹100 से लेकर ₹600 के बीच इस का खर्च आता है परंतु अन्य अस्पतालों में अलग-अलग अस्पतालों में इसकी खर्च अलग-अलग आती है|
ईसीजी (ECG)टेस्ट कई प्रकार के होते हैं:-
जिसमें मरीज के हृदय का टेस्ट किया जा रहा होता है अथवा ईसीजी टेस्ट किया जा रहा होता है उस समय उसके ह्रदय का इलेक्ट्रिकल गतिविधि मापा जाता है और फिर उसे रिकॉर्ड भी कर लिया जाता है ताकि पता किया जा सके यह कि यह सामान्य परिस्थितियों में हो रहा है या नहीं| आमतौर पर ईसीजी टेस्ट तीन प्रकार के होते हैं जो मरीजों के ह्रदय के अंगो की जांच के लिए अपना कार्य करते हैं|
हॉल्टर मॉनिटर (Holter Monitor):-
यह एक पोर्टेबल डिवाइस है जो ईसीजी मशीन का एक प्रकार है , यह मशीन मरीज के हृदय का इलेक्ट्रिकल गतिविधियां को 24 से 48 घंटे रिकॉर्ड करते रहती है अर्थात मापते रहती है| इस टेस्ट में मरीज के छाती में एक इलेक्ट्रोड जोड़ दिया जाता है और इससे जुड़ा एक इलेक्ट्रिकल मॉनिटर होता है जो इस प्रक्रिया को रिकॉर्ड करता है इसे मरीज अपने पास टेबल में या फिर अपने पॉकेट में भी रख सकता है|
इवेंट रिकॉर्डर ( Event Recorder):-
ह्रदय के रोगों से संबंधित सभी प्रकार की परेशानियां जो जल्द ही नजर नहीं आते है इन लक्षणों का पता लगाने के लिए इवेंट रिकॉर्डर का इस्तेमाल किया जाता है यह मशीन भी ईसीजी का एक प्रकार है यह मशीन भी हॉल्टर मॉनिटर की तरह ही कार्य करता है परंतु इसमें कुछ अंतर है वह है की या किसी भी प्रकार का सिग्नल का पता चलते ही है उसे रिकॉर्ड कर लेता है और इस रिकॉर्ड की हुई इलेक्ट्रिकल गतिविधि को डॉक्टर देखते हैं और उसके लिए उपयुक्त इलाज का निर्णय लेते हैं।
स्ट्रेस टेस्ट (stress test):–
हृदय से संबंधित बहुत से ऐसी भी समस्याएं होती है जिन्हें आमतौर पर पता नहीं चलता उन्हें व्यायाम और योग आदि करते समय उसका पता चलता और उसी समय ईसीजी का टेस्ट करना स्ट्रेस टेस्ट कहलाता है, साधारण तौर पर यह टेस्ट ट्रेडमिल या स्थिर साइकिल पर किया जाता है।
ईसीजी टेस्ट कराने से पहले की सावधानियां -Alert before ECG testing:-
ईसीजी टेस्ट कराने से 1 दिन पहले शरीर में किसी प्रकार का चिकना पदार्थ अथवा क्रीम या लोशन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि त्वचा में चिकनाहट से इलेक्ट्रोड को हमारे शरीर का इलेक्ट्रिकल गतिविधियां मापने में परेशानी होती है, वह यह प्रक्रिया नहीं कर पाती इसीलिए ऐसा किया जाता है।
ईसीजी टेस्ट कराने से पहले ठंडे पानी नहीं पीना चाहिए और साथ ही साथ एक्सरसाइज या व्यायाम आदि भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ठंडे पानी का इस्तेमाल करने की वजह से इलेक्ट्रिकल पैटर्न परिवर्तन आ सकता है एक्सरसाइज करने से हृदय की स्पंदन गति बढ़ सकती है और इससे टेस्ट रिजल्ट परिवर्तन आ सकता है।
बटन वाले शर्ट या ऐसे कपड़े का उपयोग करें जिसे आसानी से उतारा जा सकता है क्योंकि इलेक्ट्रोड को सीने में लगाया जाता है।
ECG टेस्ट करने का तरीका-Method of ECG Test:-
ईसीजी टेस्ट एक प्रकार का पीड़ा रहित ,सुरक्षित और त्वरित प्रक्रिया है ,ईसीजी टेस्ट करने के लिए 12 से 15 मुलायम इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रोड को छाती ,बांहों, हाथ और पैरों में लगाया जाता है,शरीर के इन हिस्सों में इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रोड को चिपकने में आसानी होती है।
ECG के नुकसान और उसके परिणाम-ECG side effects and it's Result:-
आमतौर पर ईसीजी टेस्ट की कोई खास नुकसान नहीं है परंतु ईसीजी टेस्ट करने के लिए इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रोड शरीर के जिन भागों पर लगाया जाता है उस स्थान पर त्वचा लाल और हो जाती है और वह उसके स्थान पर चकत्ते पड़ जाते हैं वह सूजन हो जाता है।
ईसीजी टेस्ट के दौरान हृदय स्पंदन गति बढ़ने या फिर दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है परंतु यह स्ट्रेस टेस्ट की वजह से नहीं होता है यह एक्सरसाइज करने के कारण भी हो सकता है।
यदि किसी मरीज के शरीर से प्रतिदिन इलेक्ट्रोड को नहीं निकाला जाता है तो होल्डर मॉनिटर की वजह से उसे इलेक्ट्रोड लगाए स्थान पर जलन हो सकती है।
ECG टेस्ट के बाद डॉक्टर रिपोर्ट में ह्रदय की गति की दर को देखते हैं और हम इसे जाने तो हमें यह पता चलता है कि सामान्य रूप से हृदय की गति 20 से 50 बीट्स प्रति मिनट होता है लेकिन अगर हार्टबीट ज्यादा या धीमा या अनियमित होता है तो ECG टेस्ट हृदय के स्वास्थ्य होने का संकेत भी देता रहता है।
ईसीजी टेस्ट के माध्यम से यह पता चल पाता है कि ह्रदय का कौन सा भाग कितना अधिक क्षतिग्रस्त हुआ है और इससे यह भी पता चलता है कि उस मरीज को हार्ट अटैक की संभावना है या नहीं।
हृदय की धमनियों अथवा मांस पेशियों से रक्त का सही ढंग से प्रवाह हो रहा है या नहीं और सीने में दर्द होना और अन्य प्रकार की सभी परेशानियों को जानने के लिए ECG टेस्ट का उपयोग किया जाता है।