आइसो
लेशन क्या है?-What is Isolation?
आइसोलेशन :- किसी व्यक्ति को आइसोलेट तब किया जाता है, जब वह व्यक्ति किसी खतरनाक संक्रमित होने वाली बीमारी से संक्रमित हो जाता है और ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को आइसोलेशन की स्थिति में रखा जाता है, और साथ ही साथ उस व्यक्ति को दूसरे अन्य स्वास्थ्य व्यक्तियों के संपर्क में नहीं रखा जाता है उनसे दूरी बनाए हुए रखा जाता है, जिससे कि संक्रमित व्यक्ति से संक्रमण किसी स्वस्थ व्यक्ति तक ना पहुंच सके साथ ही इसमें संक्रमित व्यक्ति के लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था की जाती है और एक अलग बाथरूम के भी व्यवस्था की जाती है और हर व्यक्ति से दूरी बनाए हुए रखा जाता है। संक्रमित व्यक्ति को किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं होती जब तक कोई अनिवार्य स्थिति ना हो। आइसोलेशन की स्थिति घर के किसी अलग कमरे या फिर घर से कुछ दूरी पर यह आइसोलेट का एक कमरा तैयार किया जाता है जिसमें मरीजों को रखा जाता है और उसे स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में नहीं आने दिया जाता है।
ऐसी स्थिति में जब कोई व्यक्ति को संक्रमण होने के खतरे होते हैं तो उसे आइसोलेशन के दौरान खुले कमरे में और हवादार कमरे में रखा जाता है साथ ही साथ उसे अलग बाथरूम का इस्तेमाल कराया जाता है और ऐसी स्थिति में जब किसी व्यक्ति को अपना जांच कराना होता है तो वह अस्पताल ना जाए बल्कि फोन से ही डॉक्टर से सलाह लें जिससे कि आपको पता चल सके कि आपका स्वास्थ्य अभी कैसा है उसके बाद ही कुछ उचित निर्णय लेना चाहिए।
क्वारंटाइन क्या है?–What is Qwarantine?
क्वारनटाइन:– किसी व्यक्ति को क्वॉरेंटाइन तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति या किसी समूह या समुदाय के लोगों का संक्रमित हो जाने के खतरे का शक होता है। क्वारंटाइन के इस स्थिति में घर के किसी एक अलग कमरे में रहना होता है साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को एक दूसरे से दूरी बनाए रखने तथा बाहरी लोगों के संपर्क से दूर रहना होता है और कोई भी व्यक्ति एक दूसरे के कमरे में नहीं जाता है इसमें कुछ अनेक बातों का ध्यान रखा जाता है, जैसे कि एक दूसरे की वस्तुओं का इस्तेमाल ना किया जाए।
अगर कोई व्यक्ति घर में अकेले रहता है तो उसे घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए वह अपने खाने-पीने और दवाइयां आदि आवश्यक सामान किसी अन्य व्यक्ति से मंगवा कर अपना काम चला सकते हैं जब तक कि वह पूरी तरह से ठीक ना हो जाए और खुद को बार-बार साफ रखें स्वस्थ रखें हाथ बार-बार दो और अपने कचरे को इधर उधर ना फेंके ,लोगों से नजदीकी बनाकर ना रहे और कम से कम 6 फीट की दूरी होना अनिवार्य है।
आइसोलेशन करने का मकसद किसी संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण से पूरी तरह मुक्त कराना होता है और वही पर हम देखे तो क्वारंटाइन का मकसद होता है कि वह संक्रमण का शक होने वाला व्यक्ति या समुदाय को निगरानी में रखा जाए और उसे किसीअन्य व्यक्ति के संपर्क से रोका जाए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार कोरोना वायरस की इस स्थिति में आइसोलेशन की कोई निर्धारित समय सीमा नहीं है क्योंकि किसी व्यक्ति को आइसोलेशन तब तक किया जा सकता है जब तक वह पूरी तरह संक्रमण मुक्त ना हो जाए और वही क्वॉरेंटाइन ज्यादातर 14 दिनों के लिए ही होता है जिसमें किसी व्यक्ति या समुदाय के संक्रमित होने का खतरा होता है तो उन्हें घर में ही रखकर क्वारंटाइन के नियम का पालन करना होता है।
आइसोलेशन और क्वारंटाइन में क्या अंतर होता है?–What is deference between Isolation and Qwarantine?
हमने ऊपर के ही कुछ लाइनों में पढ़ चुके हैं कि आइसोलेशन प्रक्रिया क्या होती है,आमतौर पर आइसोलेशन की प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब कोई संक्रमित व्यक्ति किसी संक्रामक बीमारी से पूरी तरह संक्रमित हो जाता है। इस प्रक्रिया में किसी संक्रमित व्यक्ति को स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आने से रोका जाता है ताकि संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ना फैल पाए। वहीं पर अगर हम देखे तो क्वारंटाइन की प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब किसी समुदाय या समूह के संक्रमण होने की आशंका बनी रहती है।
आइसोलेशन की प्रक्रिया में स्वास्थ्य उपकरणों से पूरी तरह तैयार हॉस्पिटल, मेडिकल सेंटर, मेडिकल कॉलेज इत्यादि स्थानों पर ही संभव बनाया जाता है जबकि क्वारंटाइन की प्रक्रिया अस्थाई तौर पर घर पर ही अपनाई जा सकती है व्यक्ति स्वयं को होम क्वॉरेंटाइन भी कर सकता है साथ ही साथ अपने घर में अपने घर के किसी अलग कमरे में वह रह सकता है और खुद को स्वस्थ रख सकता है।
आइसोलेशन का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि वह किसी संक्रमित व्यक्ति को पूरी तरह से संक्रमण से मुक्त कराएं और वहीं पर क्वारंटाइन का उद्देश्य होता है कि किसी समुदाय व्यक्ति के संक्रमण होने की खतरे का शक होना और उस पर निगरानी रख कर उसे पूरी तरह स्वास्थ्य बनाना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार आइसोलेशन की प्रक्रिया के लिए कोई भी निर्धारित समय नहीं तय की गई है इसमें आइसोलेशन की प्रक्रिया तब तक अपनाई जा सकती है जब तक कोई संक्रमित व्यक्ति पूरी तरह से संक्रमण से मुक्त ना हो जाए वहीं पर अगर हम देखें तो क्वॉरेंटाइन के लिए समय अवधि 14 दिनों के लिए निर्धारित कर दी गई है।
आशा है,आपको अच्छे से समझ आ गया होगा कि आइसोलेशन और क्वॉरेंटाइन क्या होता है?,इन में क्या अंतर होता है? उम्मीद है आपको यह जानकारी पढ़कर कुछ जानकारी हासिल हुई होगी धन्यवाद.....